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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2687
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।

अथवा
गेस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताइये।

उत्तर -

सीखने के व्यवहारवादी सिद्वान्तों तथा संज्ञानात्मक सिद्वान्तों के एक मिले-जुले रूप में अधिगम की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए टालमैन ने सन् 1932 में एक अधिगम सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इस सिद्वान्त को चिन्ह सिद्वान्त, चिन्ह अधिगम सिद्धान्त, चिन्ह गेस्टाल्ट सिद्वान्त, प्रत्याशा सिद्वान्त, उद्देश्य सिद्वान्त के नामों से जाना जाता है। टालमैन का यह सिद्धान्त व्यवहारवादी दृष्टिकोण पर आधाति है।

टालमैन का विचार है कि - प्राणी की सभी क्रियाएं उद्देश्यपूर्ण या किसी प्रयोजन से जुड़ी हुई होती है। सीखने की क्रिया में प्राणी का व्यवहार उद्देश्यपूर्ण होता है।

टालमैन में व्यवहारवादियों की तरह से व्यवहार को छोटी-छोटी इकाइयों में विभक्त करने के स्थान पर उनके समग्र रूप में अध्ययन करने पर बल दिया तथा व्यवहार को उद्देश्यपूर्ण माना। टालमैन ने विभिन्न प्रकार के भूल भूलैयाओं में चूहों के ऊपर अनेक प्रयोग करके अपने अधिगम सिद्वान्त का प्रतिपादन किया था। उसने अधिगम से सम्बन्धित अनेक सैद्धान्तिक सम्प्रत्ययों को प्रस्तुत किया तथा सीखने के प्रकार का वर्णन किया।

अन्तर्दृष्टि अधिगम सिद्धान्त - सीखने के इस सिद्धान्त को गेस्टाल्ट सिद्वान्त, पूर्णाकार सिद्धान्त, समग्र सिद्वान्त, पूर्णाकृति सिद्वान्त, अन्तर्दृष्टि सिद्वान्त या सूझ सिद्वान्त आदि नामों से जाना जाता है। गेस्टाल्ट जर्मन भाषा का शब्द है जिसका आंग्ला भाषा में कोई पूर्ण समतुल्य शब्द न होने के कारण इसे यथावत् स्वीकार कर लिया है। गैस्टाल्ट से तात्पर्य संगठित व पूर्ण अथवा पूर्णाकृतिक संरचना से है जिसकी विशेषता का पता उसके सम्पूर्ण गुणों से चलता है न कि उसके अवयवों के अवलोकन से। गैस्टाल्टवादियों के अनुसार प्राणी सम्पूर्ण परिस्थिति को एक समग्र रूप में देखता है। जब कोई समस्या आती है तब प्राणी उद्दीपक को अनुक्रिया से सम्बन्धित करके नहीं सीखता है। वरन् वह सम्पूर्ण परिस्थिति को देखकर समस्या का समाधान अपनी अन्तर्दृष्टि अथवा सूझ से खोजता है| सूझ से तात्पर्य किसी परिस्थिति में विभिन्न पक्षों के बीच सम्बन्धों का देखने अथवा परिस्थिति के केन्द्रीय भाव को समझ लेने से है। सूझ से प्राणी यह समझ जाता है कि किस प्रकार से कार्य करके वह अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। सूझ प्रायः अचानक तथा स्वः स्फूर्त ढंग से आती है। इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता नहीं होती है। किसी परिस्थिति में जैसे ही प्राणी में सूझ उत्पन्न होती है वह सही अनुक्रिया करता है तथा इस प्रकार से वह उस परिस्थिति में उस अनुक्रिया को करना सीख जाता है। गैस्टाल्टवादियों के अनुसार नवीन सूझ की क्षमता विकसित करने की अथवा पुरानी सूझ को सुधारने की प्रक्रिया को सीखना कहा जाता है। इसके अन्तगर्त प्राणी सम्पूर्ण परिस्थिति को प्रत्यक्षीकरण के प्रति अनुक्रिया करता है। अतः इस सिद्धान्त को गैस्टाल्ट सिद्वान्त भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त क्योंकि प्राणी सूझ द्वारा सीखता है इसलिए इस सिद्धान्त को सीखने के सूझ सिद्वान्त के नाम से पुकारा जाता हैं।

गैस्टाल्टवादियों ने सूझ की प्रक्रिया को किसी परिस्थिति में आये परिवर्तनों या घटित घटनाओं को ऐसे क्रमबद्ध व तार्किक रूप से व्यवस्थित करने के रूप में स्वीकार किया है। निःसन्देह सूझ की प्रक्रिया एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है जो समस्या का संज्ञानात्मक समाधान प्रस्तुत करके सीखने की प्रक्रिया को अत्यधिक सरल, सहज तथा उद्देश्यपूर्ण बनाती है। सूझ का परिणाम प्रायः सम्बन्धों की अचानक पहचान, स्पष्टता, समझ तथा सफलता होती है

मनोविज्ञान व शिक्षा की दृष्टि से गैस्टाल्ट व अन्तर्दृष्टि का सिद्वान्त काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसके द्वारा शिक्षकों के उत्तेजकों व अन्तर्दृष्टि की क्षमता का प्रयोग करना सम्भव हो सकता है उत्तेजकों को सार्थकता व प्रयोगशाला भी प्रदान की गई।

प्रो. एण्डरसन - कक्षा के भीतर का संसार जिसमें बालक रहता है और सीखता है केवल कुछ विचारविहीन उत्तेजकों का संगठन नहीं है और न तो उसकी अनुक्रियाएं कवल प्रयत्न व व मूल अनुकूलन है। यह संसार सुसंगठित होता है। बालक अवबोध के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। उसको सूझ होती है। इस परिभाषा द्वारा यह स्पष्ट होता है कि सार्थक अधिगम, सचेतन अधिगम गैस्टाल्ट या अन्तर्दृष्टि सिद्वान्त के अनुसार होता है।

प्रो. हिलगार्ड - इस सिद्धान्तवाद का रोचक और महत्वपूर्ण लक्ष्ण यह तथ्य है कि प्रयोजनपूर्ण व्यवहार की व्याख्या यह देता है जो मानसिक दशाओं व बाह्य दृश्य यान्त्रिकता दोनों को दूर करता है। गैस्टाल्ट सिद्वान्त अनुभवों की पूर्णता पर बल देता है। अनुभव प्राप्त करने के लिए शिक्षक कक्षा के सभी उपादान छात्रों के संगठन प्रस्तुत कर देता है। छात्र अपनी बुद्धि व योग्यता के कारण समस्या के समाधान में इनका प्रयोग करता है। अतः छात्र निरर्थक प्रयासों के स्थान पर सार्थक प्रयास करे और अनुभव व सफलता प्राप्त करे।

इस दृष्टि से अध्यापक के निम्न कर्तव्य हैं -

1. छात्रों के सामने उपयुक्त पर्यावरण का साधन प्रस्तुत करे।
2. छात्रों के सामने समस्याओं को खड़ा करें |
3. छात्रों से सृजनात्मक क्रियाएं करायें।
4. जो कुछ छात्रों को पढ़ाए उसे अन्त में सारांश के रूप में प्रस्तुत करें। 5. पाठ्यक्रम में छात्रों की रुचि व अच्छी पूर्ण रीति से संगठित करें।
6. छात्रों की व्याख्या, सामान्यीकरण विश्लेषण आदि कराये।
7. छात्रों के आकांक्षा के स्तर को समझें व तदनुकूल ज्ञान प्रदान करायें।
8. इससे छात्रों में सीखने के उद्देश्य के साथ-साथ नवीन ज्ञान की आवश्यकता, उपयोग तथा सार्थकता पर भी बल देता है।
9. यह सिद्धान्त बालक के द्वारा स्वयं परिस्थितियों का अवलोकन करने तथा सूझ के द्वारा खोज करके सीखने पर बल देता है।
10. यह सिद्धान्त सीखने की प्रक्रिया में यांत्रिकता के प्रत्यय का खण्डन करता है। अतः यन्त्रवत् ढंग से विषय-वस्तु का स्मरण कराने का यह सिद्धान्त खण्डन करता है।
11. यह सिद्धान्त बुद्धि, सृजनात्मकता कल्पना तथा तर्क शक्ति आदि संज्ञानात्मक योग्यताओं का विकास करने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है 1
12. यह सिद्वान्त वातावरण की महत्ता को स्थापित करता है। अध्यापकों को बालकों के सम्मुख ऐसा वातावरण अथवा परिस्थिति प्रस्तुत करनी चाहिए कि बालकों में अन्तर्दृष्टि उत्पन्न हो सके।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये !
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- 'शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की विकासात्मक विधि को समझाइये तथा इस विधि की विशेषताओं एवं सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  6. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  7. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  8. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  9. प्रश्न- व्यवहारवाद की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद सम्प्रदाय का क्या योगदान है?
  10. प्रश्न- व्यवहारवाद तथा शिक्षा के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रकार्यवाद क्या है? उल्लेख कीजिए। प्रकार्यवाद का सिद्धान्त बताइए।
  13. प्रश्न- अवयवीवाद (गेस्टाल्टवाद) की मुख्य विशेषतायें बताइये।
  14. प्रश्न- फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद को समझाइये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करता है कैसे?
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान में व्यवहारवाद की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- व्यवहारवाद क्या है? इसका शैक्षिक महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- मनोविज्ञान के सम्प्रदाय का अर्थ तथा प्रकार का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- संरचनावाद का शिक्षा में क्या योगदान है?
  20. प्रश्न- अधिगम के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए। अधिगम एवं परिपक्वता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा बताइए।
  22. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति समझाइये।
  23. प्रश्न- परिपक्वता और सीखने में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन-से हैं? उन्हें स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले अध्यापक से सम्बन्धित कारक कौन-से हैं?
  26. प्रश्न- विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- अधिगम के वातावरण सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव और स्किनर के सीखने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  30. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  31. प्रश्न- प्रानुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  32. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  33. प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।
  35. प्रश्न- थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- गेस्टाल्ट का समग्राकृति अथवा अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त क्या है?
  37. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के शिक्षा में प्रयोग को समझाइये |
  38. प्रश्न- थार्नडाइक के सम्बन्धवाद अथवा प्रयास व त्रुटि के सिद्धान्त के द्वारा अधिगम को समझाइये |
  39. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  40. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  41. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- 'प्रेरणा' के सम्प्रत्यय का वर्णन कीजिए। छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए आप किन तकनीकों या विधियों का प्रयोग करेंगे?
  47. प्रश्न- अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
  48. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  53. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  54. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  55. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये |
  57. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  58. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  59. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  60. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  61. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने मानदण्ड क्या है?
  62. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  63. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  64. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन से हैं?
  65. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण के विभिन्न उपयोगों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- आई. क्यू. (I.Q.) से क्या तात्पर्य है? यह कैसे नापा जाता है? क्या आई. क्यू. स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर के समर्थन में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिये।
  68. प्रश्न- क्या आई. क्यू. (बुद्धिलब्धि) स्थायी होती है?
  69. प्रश्न- बुद्धि कहाँ तक पितृगत (वंशानुगत) होती है?
  70. प्रश्न- बुद्धि के स्वरूप व प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- बुद्धि-लब्धि क्या है?
  73. प्रश्न- बुद्धि की पहचान किन तथ्यों के माध्यम से की जा सकती है? व्याख्या कीजिए।
  74. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों एवं प्रकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता होने के क्या-क्या कारण हैं?
  76. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता मापने की विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  79. प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
  80. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता से आप क्या समझते है? शिक्षा में इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता का मापन व्यक्तित्व परीक्षा द्वारा कैसे किया जाता है?
  83. प्रश्न- परीक्षण के बाद व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइए।
  84. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइये।
  85. प्रश्न- वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियों का उल्लेख कीजिए।
  86. प्रश्न- डेक्रोली शिक्षण योजना को स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- कॉन्ट्रेक्ट शिक्षण योजना तथा प्रोजेक्ट शिक्षण योजना का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- डाल्टन योजना को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- निष्पत्ति लब्धि की व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- शिक्षा-लब्धि पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- निष्पत्ति परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- थार्नडाइक ने व्यक्तित्व को कितने भागों में विभाजित किया है?
  95. प्रश्न- स्प्रैगर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार बताइए।
  96. प्रश्न- युंग द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले जैविक एवं वातावरणजन्य कारकों का विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख गुणों (विशेषताओं) या शीलगुण सिद्धान्त का विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- व्यक्तित्व के निर्धारण में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण की भूमिका बताइए।
  100. प्रश्न- व्यक्तित्व निर्धारण में विद्यालय कैसे प्रभाव डालता है?
  101. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  102. प्रश्न- फ्रायड के सिद्धान्त के प्रमुख तत्व बताइये।
  103. प्रश्न- फ्रायड द्वारा बताई गई रक्षा युक्तियों को समझाइये।
  104. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित युंग के सिद्धान्त को बताइये।
  105. प्रश्न- युंग के अनुसार व्यक्तित्त्व का वर्गीकरण कीजिये।
  106. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- व्यक्ति की किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उसके मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार संरक्षित किया जा सकता है?
  108. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से संरक्षित किया जायेगा?
  109. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा नामे रखने के उपाय बताइए।
  110. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  111. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं?
  112. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व के स्रोत बताइए।
  113. प्रश्न- समायोजन से क्या आशय है? विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- समायोजन की विशेषताएँ बताइये।
  115. प्रश्न- विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- बचाव (समायोजन) क्या है? प्रमुख बचाव (समायोजन) यंत्रीकरणों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
  117. प्रश्न- 'संघर्ष' को परिभाषित कीजिए।
  118. प्रश्न- भग्नाशा (कुंठा) को परिभाषित कीजिए। भग्नाशा के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
  119. प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।
  120. प्रश्न- समायोजन स्थापित करने की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
  121. प्रश्न- तनाव प्रबन्धन क्या है?
  122. प्रश्न- समायोजन विधि को संक्षेप में समझाइये।

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